शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

सुविधाएं देने का वादा, अब पदक मिलेंगे ज्यादा

प्रदेश की खेल बिरादरी के सुझावों पर खेल विभाग ने सुविधाएं देने का जो वादा रविवार को संगोष्ठी में किया है, उसके बाद अब यह उम्मीद हो गई है कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रदेश को ज्यादा पदक मिलेंगे। प्रदेश को ज्यादा पदक दिलाने की मंशा को लेकर ही खेल विभाग ने एक संगोष्ठी का आयोजन यहां किया था। प्रदेश को खेलों में नंबर वन बनाने की मंशा के लिए आयोजित की गई संगोष्ठी में कई सुझाव आए इन सुझावों पर खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी के साथ खेल विभाग के सचिव सुब्रत साहू ने अमल करने की बात कही और यह भी बताया कि ज्यादातर सुझावों पर खेल विभाग पहले से काम कर रहा है। सबसे पहले ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने अपनी बात रखते हुए कहा कि खेल संघों को मान्यता देने वाले नियमों में और शिथिलता लाने की जरूरत है। इसी के साथ उन्होंने कहा किस खेल विभाग राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वालों खिलाड़ियों को तो नगद राशि देकर सम्मानित करता है, पर प्रशिक्षकों को नगद राशि का इनाम नहीं दिया जाता है। उन्होंने प्रशिक्षकों को नगद राशि इनाम देने की वकालत करने के साथ ही खेल पत्रकारों और खेलों को बढ़ावा देने वालों के लिए भी पुरस्कार देने की बात कही।
पदकॊं की बरसात हो खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि उनका विभाग चाहता है कि प्रदेश को ज्यादा से ज्यादा खेलॊं में पदक मिलें। उन्होंने बताया कि अनुदान नियमों में संशोधन के साथ खेलों को उद्योगों को गोद दिलाने की पहल के साथ प्रशिक्षकों की भर्ती भी की जा रही है। खेल नीति की समीक्षा की भी योजना है। प्रदेश में एक खेल अकादमी भी बनाई जा रही है, इसी के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) का एक बड़ा सेंटर भी राजनांदगांव में बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य बनने के बाद 10 खेलों में ही 109 पदक मिले हैं।
खेलों की श्रोणियां तय हों
केन्द्र सरकार द्वारा खेलों की जिस तरह से श्रोणियां तय की गई हैं, उसी तरह से प्रदेश में भी श्रोणियां तय करने की बात पूर्व ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे खेलों का ध्यान देना चाहिए जिनसे पदकों की ज्यादा उम्मीद है। इसके विपरीत ट्रायथलान संघ के विष्णु श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार को ऐसे खेलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है जिन खेलों के संघ काफी कम सुविधाओं के साथ मान्यता के बिना ही अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने खेल पर्यटन की बात करते हुए कहा कि आज जमाना एडवेंचर स्पोट्र्स का है। उन्हॊंने पुलिस में भी खेलों की नीति बनाने की बात के साथ पुलिस विभाग में खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात कही। नेटबॉल संघ के संजय शर्मा ने भी खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात कही। उन्होंने खेलों को बढ़ाने के लिए प्रदेश को तीन जोन में बांटकर खेलों का आयोजन करने की बात की। पूर्व मंत्री और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा ने भी खेलों को श्रोणियों में बांटने की बात के साथ राजधानी के इंडोर स्टेडियम को नगर निगम से लेकर खेल विभाग को बनाने का सुझाव दिया। 10वीं कक्षा तक खेल जरूरी हों फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रामविनास ने कहा कि प्रदेश में 10वीं कक्षा तक खेलों को अनिवार्य किया जाए और इसको एक विषय के रूप में पाठयक्रम में शामिल करके इसकी परीक्षा ली जाए। पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे ने स्कूली खिलाड़ियों की फीस माफ करने की बात कही। पुराने मैदानों को ठीक किया जाए क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने प्रदेश में खेल मैदानॊं की कमी को दूर करने के लिए सबसे पहले उन मैदानों को ठीक करने की बात कही जो मैदान आज रखरखाव के अभाव में काम के नहीं रह गए हैं। उन्होंने खिलाड़ियॊं के लिए प्रशिक्षक उपलब्ध भी कराने की बात कही। उन्होंने खेल संघों की मानिटरिंग करने के लिए एक समिति बनाने का भी सुझाव दिया। वालीबॉल संघ के मो.अकरम खान ने कहा कि हर जिले में प्रशिक्षक होने चाहिए। उन्होंने खेल विभाग को सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप का भी आयोजन अपने हाथ में लेने का सुझाव दिया। उन्होंने राजधानी में एक स्पोट्र्स हास्टल बनाने की बात कही ताकि खेलों के आयोजन में खिलाड़ियों को ठहराने में परेशानी न हो। कराते संघ के विजय अग्रवाल ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की बात कहते हुए कहा कि रायपुर और भिलाई के बीच में मैदान बनाने चाहिए। तीरंदाजी संघ के कैलाश मुरारका ने अनुदान के लिए होने वाली कागजी कार्रवाई को कम करने की बात की तो लॉन टेनिस संघ के गुरचरण सिंह होरा ने अनुदान खेल संघों का अग्रिम देने की वकालत की। सरकार मदद करेगी कार्यक्रम के अंत में खेल मंत्री लता उसेंडी ने जहां कहा कि सभी सुझावों पर ध्यान दिया जाएगा और सरकार खेल संघों को हरसंभव मदद करेगी। इधर खेल सचिव सुब्रत साहू ने सुझावों को सुनने के बात सिलेसिलेवार बताया कि ज्यादातर सुझावों पर पहले से ही अमल हो रहा है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि जो भी सुङााव आएं हैं उन पर नियमानुसार अमल किया जाएगा। नहीं मिला सुझाव देने का मौका बैठक में 30 से ज्यादा खेल संघों के अध्यक्ष‍सचिवॊं आए थे, इनमें से चंद लोगों को ही बोलने का मौका दिया गया। जिनको बोलने का मौका नहीं मिला वो मन मारकर रह गए। कई संघों के पदाधिकारी यह भी कहते रहे कि ओलंपिक संघ और खेल विभाग के अधिकारियॊं ने केवल उनको बोलने का मौका दिया जो उनकी मंशा के अनुरूप बोलते। वैसे खेल विभाग ने सभी से लिखित में भी सुझाव मांगे हैं। लेकिन कई लोगों संगोष्ठी में बोलने के इच्छुक थे, पर समय कम होने की बात कहते हुए काफी कम लोगों को बोलने दिया गया।

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

देश का हर गांव खेलों से जुड़ जाएगा


प्रदेश के 14 ब्लाकों की 982 पंचायतों में केन्द्र सरकार की एक योजना पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान योजना यानी पाइका के माध्यम से खिलाड़ी लइका तैयार करने की दिशा में खेल विभाग ने तैयारी प्रारंभ कर दी है। पहले चरण में सभी जिलों में ऐसी पंचायतॊ को चिंहित करने का काम हो रहा है जहां पर खेल योजनाओं को प्रारंभ किया जाना है। इन योजनाओं के लिए केन्द्र सरकार पैसों की बरसात करने वाली है। केन्द्र सरकार की मदद से सबसे पहले प्रदेश की 10 प्रतिशत पंचायतों को खेलों से जोड़ा जाएगा। इस दस साल की योजना में प्रदेश की सभी पंचायतों में खेलों का विकास होगा और छत्तीसगढ़ ही नहीं देश का हर गांव खेलों से जुड़ जाएगा। प्रदेश की खेल नीति में यूं तो पहले से ही पंचायत स्तर पर खेलों को बढ़ाने की बात है, और इस दिशा में पिछले आठ सालों से कुछ न कुछ काम हो ही रहा है, लेकिन इस साल अचानक केन्द्र सरकार ने जो योजना पूरे देश के लिए प्रारंभ की है, उस योजना से अब प्रदेश में पंचायत स्तर पर खेलों को बढ़ाने की दिशा में काफी तेजी से काम होगा। पहले चरण में केन्द्र की योजना को लागू करने के लिए खेल विभाग ने काम प्रारंभ कर दिया है। योजना को लागू करने के लिए खेल संचालक ने प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र जारी करके उनसे अपने जिले के ऐसे ब्लाकॊं और पंचायतों की जानकारी मांग है जिनको खेलों के लिए विकसित किया जाए सके। खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि पहले चरण में 982 पंचायतों को चिंहित किया जा रहा है। इनको चिंहित करने का काम अंतिम चरण में है। इन पंचायतों और ब्लाकों को इस माह के अंत तक चिंहित कर लिया जाएगा। इसके बाद एक योजना बनाकर केन्द्र सरकार के पास भेजी जाएगी। क्या है पाइका योजना सबसे पहले पाइका के बारे में जानना जरूरी है कि आखिर यह योजना क्या है। इस योजना के बारे में खुलासा करते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार देश भर में हर गांव को खेलों से जोड़ने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान योजना (पाइका) नाम से एक नई योजना प्रारंभ की है। यह योजना 10 साल की है। पहले साल में देश के हर राज्य की 10 प्रतिशत पंचायतों को इसमें शामिल किया जा रहा है। हर साल इसी के हिसाब से नई पंचायतों को जोड़ा जाएगा। दस साल के अंदर पूरे देश के गांवों को खेलों से जोड़ दिया जाएगा। जिन पंचायतों को पहले साल में योजना में शामिल किया जाएगा वहां के लिए पूरी तरह से योजना बनाकर हर राज्य को केन्द्र को भेजना होगा। इन योजनाओं के लिए केन्द्र सरकार आर्थिक मदद करेगी। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को सुलभ बनाने के साथ गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करना है। हर साल 10 प्रतिशत के हिसाब के योजना में पंचायतों को शामिल किया जाएगा और 10 साल होते-होते सभी पंचायतें इस योजना से जुड़ जाएगी और देश के हर गांव में जहां खेल मैदान होंगे, वहीं वहां की प्रतिभाओं को ब्लाक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर खेलने जाने का मौका मिलने लगेगा। भरपूर आर्थिक मदद मिलेगी पाइका को राज्य में लागू करने के लिए केन्द्र सरकार से भरपूर आर्थिक मदद मिलेगी। सबसे पहले चिंहित गांवों में मैदान के लिए एक-एक लाख की राशि दी जाएगी। इस राशि का 75 प्रतिशत अंश केन्द्र से और 25 प्रतिशत राज्य सरकार से मिलेगा। प्रदेश में उन मैदानों को चिंहित किया जा रहा है, जहां पर पहले से कुछ सुविधाएं हैं। इस बारे में खेल संचालक का कहना है कि एक लाख की राशि में मैदान को पूरी तरह से विकसित करना संभव नहीं है। ऐसे में यह जरूरी है कि उन्हीं मैदानों को शामिल किया जाए जहां पर एक लाख की राशि के अंदर मैदान इस लायक हो सकें कि वहां पर खेल हो सके। खेल मैदानों को बनाने के लिए केन्द्र सरकार की रोजगार गारंटी योजना की भी मदद लेने की बात की जा रही है। इसके अलावा पंचायतों के साथ जनसहयोग का भी सहारा लिया जाएगा। श्री सिंह ने बताया कि जिन पंचायतों में हाई स्कूल हैं और वहां पर मैदान हैं उनको चिंहित करने का काम किया जा रहा है। मैदानों के लिए जो एक लाख की राशि मिलेगी उस राशि का उपयोग बाऊंडी बनवाने, गोल पोस्ट लगाने जैसे कामॊ में किया जाएगा। हर गांव को खेल सामान लेने के लिए केन्द्र सरकार हर साल 10 हजार रुपए देगी। इसी तरह से हर ब्लाक को 20 हजार की राशि दी जाएगी। यह राशि पांच साल तक केन्द्र सरकार देगी इसके बाद यह राशि राज्य सरकार को देनी होगी। राज्य चैंपियनशिप के लिए मिलेंगे पांच लाख पाइका में खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभाएं दिखाने के लिए गांव के स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चैंपियनशिप का आयोजन करने की योजना है। इसके तरह गांवों के खिलाड़ियों को सबसे पहले ब्लाक स्तर पर चैंपियनशिप के लिए 50 हजार का अनुदान दिया जाएगा। इसके आगे जिले के आयोजन के लिए तीन लाख रुपए मिलेंगे। राय चैंपियनशिप के लिए पांच लाख की राशि केन्द्र सरकार देगी। इन सभी आयोजनों में पूरी राशि केन्द्र सरकार ही देगी। इन आयोजनों में पुरस्कार की राशि भी दी जाएगी। हर ब्लाक के आयोजन के लिए 45 हजार की राशि बतौर इनाम दी जाएगी। जिले के आयोजन के लिए इनाम की राशि 90 हजार की होगी। पाइका को पंचायतों में अच्छी तरह से लागू करने के लिए हर पंचायत और ब्लाक में एक क्रीड़ा श्री नाम से एक-एक खेल का जानकार नियुक्ति किया जाएगा। पंचायत में इस क्रीड़ा श्री को पांच सौ रुपए और बाल्क में एक हजार का मानदेय मिलेगा। जिन खेलों की चैंपियनशिप करवाई जाएगी उनमें ग्रामीण खेलों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी। इन खेलों में एथटलेटिक्स, खो-खो, कबड्डी, तीरंदाजी, रस्साकशी, कुश्ती, फुटबॉल, वालाबॉल, वेटलिफ्टिग और हॉकी शामिल हैं। इन खेलों की जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन होता है।

हिन्दी ब्लॉग टिप्सः तीन कॉलम वाली टेम्पलेट